दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन शनिवार को अपने सभी रिकाॅर्ड तोड़ते हुए 60 हजार डाॅलर का लाइफ टाइम हाई बनाया है। दुनिया के कई बड़े इंवेस्टर इस क्रिप्टोकरेंसी में इंवेस्ट किए हुए हैं। भारत में करीब 80 लाख लोग इस डिजिटल करेंसी में पैसा लगाए हुए हैं। एक बिटक्वाइन की कीमत अगर रुपये में देखें तो यह 43 लाख के पार पहुंच गई है।
भारत सहित दुनिया में इस समय क्रिप्टोकरेंसी पर जितनी चर्चा हो रही है शायद ही और किसी करेंसी पर हो रही हो। इसके पीछे की असली वजह है क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तेजी आना। लेकिन अब भारत में डिजिटल करेंसी (क्रिप्टोकरेंसी) को बैन करने की तैयारी हो रही है। पहले कहा जा रहा था कि इसी बजट सत्र में सरकार बिल लाएगी, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
क्या है भारत सरकार का रुख
सीएनबीसी टीवी 18 से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मैं आपको सिर्फ एक बात बता सकती हूं कि हम दिमाग बंद नहीं कर रहे हैं। हम उन तमाम संभावनाओं पर ध्यान दे रहे हैं जिससे डिजिटल करेंसी की दुनिया में बदलाव लाया जा सके। वित्त मंत्री के वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी राॅयटर्स को बताया कि सरकार का क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने के पीछे की वजह है ब्लाॅक चैन को प्रमोट करना। माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपना डिजिटल करेंसी ला सकता है।
भारत में अभी नहीं है कोई नियम
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई निश्चित गाइडलाइन नहीं है। 2018 में सरकार ने एक सर्कुलर के जरिए क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे प्रकरण की सुनवाई करते हुए सर्कुलर पर रोक लगाने के साथ इस मान्यता दे दी थी। हालांकि तब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को डिजिटल करेंसी पर कानून बनाने के लिए कहा था।
क्रिप्टोकरेंसी खरीदने पर होगी जेल !
नए कानून में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने, जनरेट करने, व्यापार करने, बेचने ट्रांसफर करने पर 10 साल की जेल भी सकती है। अगर सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कोई कानून बनाती है तो उसे लागू करने के 6 महीने तक सभी के क्रिप्टोकरेंसी के होल्डर के पास समय होगा कि वह सरकार को पेनाल्टी भुगतान करते हुए अपना पैसा वापस पा सकेंगे।
इसे खरीदा-बेचा कैसे जाता है
करीब 350 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ बिटक्वाइन दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बन चुकी है। इसे 2009 में उस समय लांच किया गया था जब दुनिया में आर्थिक संकट आ चुका था। गणितीय गणनाओं के हल के आधार पर कंप्यूटरों ने बिटक्वाइन के अतिरिक्त यूनिट्स को तैयार किया। यह गणना हर बार यूनिट के जोड़े जाने के बाद और भी जटिल होती जाती है। इस आभासी मुद्रा की सबसे रोचक बात यह है कि इसका हिसाब-किताब हजारों कंप्यूटरों में एक साथ सार्वजनिक लेजर में रखा जाता है। यह ठीक उस प्रक्रिया के उलट है, जिसमें पारम्परिक मुद्राओं का हिसाब बैंकों के सर्वर में रखा जाता है।
डिजिटल करेंसी बिटक्वाइन 2009 में आया था। नौ फरवरी 2011 को पहली बार इसकी कीमत एक डॉलर पर पहुंची
20 फरवरी 2021 को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजे इसकी कीमत 56015 डॅलर तक पहुंच गई थी।
17 फरवरी 2021 यानी बुधवार को इसने 52,577.50 डॉलर के स्तर को छू लिया
बिटकॉइन की कीमत पिछले साल मार्च से अब तक 8 गुना हो चुकी है।
0 Comments
thanks for your visit.